प्रेम रंग

चाय अन कप के न्यान होळी रो त्योहार अन रंग एक दूजा का असा लाड़ला साथी र्या थका के एक के बना दूजा ने एकल्लो रेबो आज तक कदी हुंवायोई कोनी ।
ज्यूं-ज्यूं होळी को तेवार लगतो-लगतो आवे ख्ूणा-खचारा में पड़्यो थको रंग, करंगेट्या के न्यान पड़्यो-पड़्योई रंग बदले । षेयर मार्केट के न्यान दो रूप्या की खरीद को रंग दस रूप्या लावे । होळी’ज जाणे वे सेठजी आठ रूप्या को असो कई मलावे ।
मने तो लागे ये सब वांकी अवेराई अन बोलबा का पैसा हे । या राज की वात हे , रंग की आत्माई जाणे के आज वो कसा रंग में हे ।


घणा रंगलाल ने तो याई खबर कोने के रंग कतरी त्र्यां को वेवे । नराई रंगलाल तो असा भी है जाने जीं दन देको वीं दनईं मल्टीकलर मै नजरे आवे । वांके वास्ते तो बाराई मीना होळी हे ।
अतरा तरह-तरह का रंगा में मने तो सबाउं बड़िया रंग तो मीठो रंग लाग्यो , जींकाउं नरी तरेकी मिठायां बणे । मिठायां ने देक-देक

भूखमर्या के मन में रे-रे अन भभड़का उठे । जटा तई वो लाडू चक्की को डाबो आकोई खाली वेन ढोल के न्यान बाजबा न लागजा वटा तक वींका जीव ने कदै षांति न मले । आकू दन उंदरा के न्यान फदक-फदक करतो-करतो मिठायां का डाबा पैज जा-जान बेठे । मां-बाप भई-बेन यार दोष्तां , की लातां घूम्मा थप्पड़ा गाळयां सब खा लेई पण वो मिठाई खायां बगेर नी मानेगा । यो मीठा रंग को खानदानी असर हे ।


मीठा रंग नै पाचे मेलतो थको वींकाउं लाख गुणो बड़िया एक रंग ओर हे जिने कतराई जुग वेग्या मनक वाने प्रेम-रंग केता आया । आज का जमाना में राम जाणे ईंके कजाणा कींकी नजरां लागी आजकाल घर-घर में यो कुदरती प्रेम रंग फीको पड़ ग्यो , ओर तो ओर लोग-लुगाई भी एक रंग में कोईने ।


फीको फट पड़्या थका ईं प्रेम रंग ने मनक आपणी-आपणी न्यारी-न्यारी तरकीबा उं होळी उं होळी गेरो करबा की सालाना कोषिषां करता रेवे हे ।
जसान कोई ईं रंग में चमार्यो रंग मलार्यो ,कोई नाळ्या को पाणी ,कोई आमळ्या को पाणी ,कोई बोतल को पाणी, कोई मीठी छा कोई

खाटी छा , कोई चलार्या नजरा का छर्रा ,कठै केषर गुलाब विष्की ठर्रा ,कोई भांग कोई ष्यांग कोई मलाइर्यो दई ,कोई मलाइर्यो सई ,कोई रूख मलाईर्यो कोई थूक मलाईर्यो । कुल मिलान वात अतरीक हे कि हर हमझदार ईं फीकाफट पड़्या थका प्रेम-रंग ने गेरो करबा के वास्ते यानि राजी करबा के वास्ते जींके जो मन में आर्यो वोई मलार्यो ।
मनकां को मतलबी रंग देक-देक दन-दन प्रेम रंग की आत्मा मै की मै छीजती जा’री । थोड़ाक दन पेल्यां यो प्रेमरंग
देेषी लाल टमाटर हरीको हर परिवार का किचन में हॅंसतो खेलतो हांझ हवेरे मल जावतो हो पण आजकाल तो एनिमिया का मरीज के न्यान धोळो पड़तो-पड़तो देषी मुरग्या के अण्डा के न्यान बचारो चोराया-चोराया पे थेला-थेला पे आन उबो वेग्यो । फेर भी मनक हमझ नी पार्या । दो पीसा कम लागे ईं गुल्तारां में वे पोल्ट्र्ीफर्म काईज अण्डा खार्या । धरम की वात या कि धरम बगड़ता थकाई रंग न हुदरर्यो । धरम को राम-धरम बगड़तो जार्यो अन प्रेम रंग दन-दन फीका उं फीको पड़तो जार्यो । अगर योई हाल र्यो तो थोड़ाक बरसां मै मनकां की मोटी-मोटी आंख्या कोट का बटन के न्यान निर्मोही वे जई । आंख्या की ओळखाण बदल जई ।
बालपणा रा नान्या गुंगरू कलदारां पे नाचता-नाचताई एक दन अतरा बूडा वे जई के जिंदगाणी रे मुजरे कितरी मोहरां कमाई यो भी नी गण पावेगा । सेठजी री ,नोटां री थप्पयां गणता-गणताई एक दन आंख्या मिचा जई ।
अणी वास्ते होळी रो गुलाल हाथां में लेेले’र बड़ा-बड़ा के लगा’र प्रणाम करो , छोटा-छोटा के लगा लगा’र वाने आगे बढ़बा को आषीरवाद देओ । अणजाण के भी लगा ’र वाने आपणे गले लगा’र वांने दोष्त बणाबा की सफल कोषिषां करो ।
थांकी कसी दुकती वात उं किंकेई कदी बंट भराग्यो वे अन वे वांका-वांका मूण्डा लेर कतराई बरसांउं थाकाउं छेटी-छेटी फरर्या वे आज आछो दन हे दोई हाथां में रंग ले’र उंका मूण्डाके लगाओ । हॅंसता-हॅंसता जटा तक उंको मूंडो पुराणा सही षेप में न आ जावे उठातई रंग लगाता रो । याई होळी री सांची सार्थकता हे । हो साल की जिंदगाणी में गाठी हिम्मत कर-कर ने हो रूठ्या थका यार दोष्तां ने मना लेवां तो होळी का नाम पे जिंदगी की या बहुत बड़ी सफलता होवेगा ।


अमृत'वाणी'

कवि , कविता और श्रोता (कवि अमृत 'वाणी')




रचना कार कवि अमृत'वाणी (अमृत लाल चंगेरिया )
रिकॉर्ड :- 28/2/2009

भूख मर्यो

बालपणा रो नाम भीखा मारू हो पण आखा गॉंव का साथीड़ा वांके नाम को सरलीकरण करता -करता वींको उपनाम भूखमर्यो राक्यो । वसान अक्कल का माइक्रोस्कोप उं देखां तो भूखमर्या में भी मंग्तापणा का कतराई त्र्या का वाइरस फूल गोबी में लट्टा के न्यान साफ-साफ दिख जाता हा ।
दसवीं क्लास में पॉंचवी दान फेल वेताईन बनाई खास अनुभव के वणी भले आदमी धान-चून की दूकान खोल काड़ी। एक दन बूणी बट्टा की टेम पे एक ग्राक वींकी दूकान पे आयो । ग्राक ,ज्वार ,बाजरा, मक्की, चाय-पत्ती असा चार -पॉंच आईटम मोलाया । वो भी नामी भूलक्कड़ भई हो जो थेलो घरै भूल्यायो ।
भूखमर्यो हगराई होदा-पादा प्लास्टिक की थेल्यां में भर-भर ने टरकाबो छार्यो हो पण ग्राक यूं केर्योे के मने यो हारोई सामान कोई ढंगढांग का थेला में देदो ताकि हाड़ा तीन सो रूप्या को सामान घरे सही सलामत परो जावे । वीं न्यारा थेला की किम्मत कोई दस रूप्या ही। सेठजी ने दस रूप्या के घाटा को अंदाजो लाग्ता हीं वांका करम पे हेक्या थका पापड़ के न्यान नराई हळ छड़ग्या ।
दोया के बच में माथा-फोड़ी ज्यादा तेज न व्हे जावे ईं बात को ध्यान
राकता थका ग्राक क्यों देखो सेठजी आज हवेर पेली थां भी घणा छीज ग्या अबे नेम छीजो मती । था असी करो होदा का , थेला का अन थांके छीजबा का तीनां का रूप्या न्यारा-न्यारा लिख अन नीचे रूप्या की कुल जोड़ लगादो । म्हारे भी घरे पाम्णा बाट नाळर्या ।
भूखमर्यो सेठ मन-मन में घणो राजी व्यो , दुकान खोल्या केड़े आज आकाई मीना में पेली दान आज कोई असो दिलदार ग्राक आयो जो मने या वात केर्यो के थाके छीजबा का पैसा भी म्हारा होदा-पादा का बिल में

जोड़दो अन मने झट उं झट फ्री करो। अबे भूखमर्या को हारोई दिमाक खूद के छीजबा को मुआवजो तै करबा में लाग ग्यो । धीरे पू बोल्यो हाड़ा तीन सो रूप्या तो सामान का दस रूप्या थेला का अन साठ रूप्या म्हारे छीजबा का । धापीन चार सो बीसी हमेत चार सो बीस रूप्या को पक्को बिल पकड़ा काड्यो ।
बिल देक ग्राक केवा लाग्यो सब ठीक हे सेठजी पण था छीजबा का साठ


रूप्या खूब ज्यादा जोड़ काड्या । दोया के बच मंे तनातनी बढ़बा लागी । सेठजी छीजता-छीजता छीजबा का पैसा कम करता जार्या । कम करता-करता तीस रूप्या पे आन अंगद के पॉंव के न्यान ठाम का ठाम अड़ग्या । चाल्तो गेलो हो दस-बीस मनक पगई भेळा वेग्या ।
मनक उबा-उबा सतनाराण भगवान की कथा के न्यान आनंद लेबा लाग ग्या । घबरान ग्राक क्यो , मारे तो यो सामान छावै कोने मूं दूजी दूकान पे जार्यूं । ग्र्राक नीचे उतर्यो तो सेठजी भी छीजबा का पैसा ओर नीचे उतर्या । कम करता-करता बोल्या लोेजी छीजबा का अब पॉंच रूप्याईज राक्या । यो सीन देक-देक मनक जो आर्या जोई दांत काड़ता आयर्या अन वटै भीड़ में मलता जार्या । भूखमर्यो यो होचर्यो के मनक ईं बास्ते दॉंत काड़र्या के में भूल-चूक छीजबा का पैसा हेला बता काड्या ।
ग्राक थोड़ोक आगे जा-जा अन पाचो आवे अन सेठजी चार -चार आना कम करता जावे , घबरायो थको लास्ट मेें हो खान मनका की भीड़ में सेठजी बोल्या देकोजी छीजबा का अब चाराना राक्या, सब पैसा कम कर नाक्या । अगर चारानाई मने ईंमें नी मले तो पचे मंे मनक जमारा में आन आज अतरो छीज ने कै जग मार्यो ।


अड़े-भड़े उबा हगराई मनक खूब दांत काड्या । ग्राक भी मन-मन में तो हॅंसर्यो पण दिकाबा के वास्ते यूंई गंभीर मुद्रा बणा मली ही । बना पैसा के असो शानदार खेल-तमाशो चालर्यो हो कुण छोड़े । मनक हॅंस-हॅंस थाक ग्या । जतरे एक दानो-गड़ो डोकरो जीने आकाई गांव का मनक चतराबा केता हा ।
चतराबा वीं सवाल ने देकताई पेली हमझग्या । वे बोल्या देको रे भई ईं
झगड़ा ने मूं पगई मेटदूं । हिंग लागे न फिटकरी रंग चोखो आबा की पक्की गारंटी । म्हारी भी एक षर्त हे मूं ईं फाट्या में कां टांग फसाउं । ईं काम ने जद करूं जद मने एक-एक रूप्यो दोई आडीनूं मले । काओ भई दानकी कींके नी छावे ।
घण्टा खा नू बातां का आंकड़्या में दोयां की गेंट्यां फसथकी ही । दोई कदकाई अबका वेर्या हा । दोई जणा देक्यो ओ बाळ परो एक रूप्या में कसी माया जारी दोई जणा पगईं त्यार वेग्या । हां भरताई चतराबा ने एक-एक रूप्यो काड-काड ने दे काड्यो । अबे बासा नके दो अदेल्या अन चार पावल्या भेळी वेगी ।
पचे चतराबा रिचार्ज व्या थका मोबाईल के न्यान बोल्या देकोरे सब मनकां दोई पार्टियां मने म्हारी दानकी दे काड़ी । फैंसलो यूं हे कि सब जणा देकजो मूं ग्राक को रूप्यों ग्राक ने पाचो देर्यंू ,खट वाने दो अदेल्या पाची देदी । अबे बासा नके चार चाराण्या वंची । वां कै कीदो ग्राक ने एक पावली ओर दे’दी । ग्राक कनू रूप्यो आयो अन हवा रूप्यो वांका नके पाचो परो ग्यो ।


बच्या थका बाराना , बासा वांकी बंडी की मैली जेब में मेल काड्या । भूखमर्या सेठ ने केवे देक रे भई आज दन तक ईं दुनिया में कसा भी सेठ ने माल बेचबा में छीजबा का नाम की एक पै नी मली । अणी वास्ते आज थने भी नी मल सके । ध्यान लगान हुणजो रे मनका जीं दन उं ये दुकानदार्या चाली जदी उं छीजबा को मुनाफो ग्राक ने ओर सेठां ने हंसबा को मुनाफो मलतो आयो । बुड़ा बासा दांत काड़ता जार्या अन फैंसलो हुणाता जार्या ।
भूखमर्यो सेठ मन में होचबा लागो यार आज तो गल्त्यां पे गल्त्यां वेगी । तीर हामे वाळा पे चलायो पण यो तो मुड़-मुड़ान पाचो चलाबा वाळा की‘ज खोपड़ी फाड़ अन मगज में घ ुसग्यो । वीं तीर को असर असो फटाफट व्यो के सेठ धीरे -धीरे मळक-मळक करबा लाग्यो । यो देखताई देकबा वाळा मनका को रंग फेर बदल ग्यो । एक ने छोड़ने सब जणा तो पेल्याई हंसर्या हा एक जणोईज बाकी हो वो भी अबे भीड़ भेळो हॅंसबा लाग ग्यो ।
बुड़ा चतराबा देक्यो सब जणा हूत-हावेल में आग्या अबे या सभा विसर्जित करबा में ई सार हे । बासा आखरीदान बोल्या देकजो रे भायां ग्राक नके रूप्या को हवा रूप्यो परोग्यो अबे बासा जेब मीनू चार आना फेर काड्या सबाका हामे धीरे -धीरे हॅंसबा वाळा वीं भूखमर्या सेठ ने देदीदा ।
अबे बूडा बासा कने दो पावल्या ओर री । वणी मूं भी बंडी की जेब में हाथ घाल अन एक पावली ओर काड़ी । भूखमर्या सेठ ने क्यो देकोजी सेठजी मने था चाराना को गुड़ देदो ।
गुड़ तोलर्या हा वी’दान चतराबा भाव-ताव भी कम करा काड्यो अन छीजता-छीजता थोड़ी-थोड़ी देर में केतार्या थोड़ो ओर नाक , थोड़ो ओर नाक यूं के-के पावली का पीसा में अदेली को गुड़ लेल्दो । पुड़की बांधती टेम कै केवे नीनी ईं गुड़ की एक नी दो पुड़कियां बणाओजी अन दोई बराबर वेणी छावे । ताकड़ी मूं बाट पाचा बाने काड़्या वटीने कागज मेल्यो अन गोर आदो-आदो कीदो । चतराबा के चाराना का पैसा में आठाना को गोर आग्यो। बासा कै कीदो गोर की एक पुड़की तो पाची बण्डी की चारानी वाळी जेब में मेली । तीन चार दान आंग्ळी कर-कर ने चाराना ने मैनूं चेक कर लीदा विष्वास वेग्यो के हॉं चाराना जेब में हे । गोर की एक पुड़की जो बाने वंची थकी ही वींमें कोई धोबो खान गोर होजो वटे उबा थका हगराई जणाने वांट काड़्यो ।
हाराई मनक गोर खाता जार्या अन दांत काड़ता जार्या । कोई केर्या ध्यान उं खाजे यो छीजबा को गोर हे । कोई केर्या न न आरामूं खाओ यो तो हंसबा को गोर हे । कोई केता जार्या ऐ रे आपी एकला नी खावा घरे भी लेजावां । आकाई हेर्या में बाटांगा ।
सब जणा आप-आपणे घरे ग्या । कण-कण करतो गोर आकाई गांव में वंटग्यो ं चतराबा घरे जाताई हेला पाड़ डोकरी ने हेटे बुुलाई । आपणा हाथाउं वांके मूण्डा में गोर की एक मोटी डळी मेली । आपबीती घटना डोकरी मां नामीक कम हुणे जो दो-दो दान हुणाई । डोकरा डोकरी खूब दांत काड़्या ।


जाता थका भाबा ने बासा फेर बण्डी मूं काड़ अन वैज चाराना दीदा क्यो झट जाओ याने आपणी लाखीणी तिजोरी में मेलो । पचे नामेक दरपता-दरपता भाबा का मूंडा का भड़े कट्यो कांद्ड़ो लेग्या । दरप अणी बास्ते र्या हा के मोट्यारपणा में रीस-रीस में भाबा दो चार दान बासा का कांद्ड़ा खाग्या हा, जदकी चतराबा के असी चमक बड़गी आज चार जुग निकळग्या पण वा चमक न निकळी । अस्पताल में दुक्णा पे पटृी करे जसान चतराबा नेम धीरेपू भाबा ने पूच्यो काओसा एक वात वताओसा अबे आपणी तिजोरी मंे लाख रूप्या वेग्या के नी व्यासा तोभी भाबा मंदसौर के ढोल के न्यान बोल्या हाल नी व्या म्हारा अंदाता । घणा रूप्या घटर्या । हाल तो गॉंवा-गॉंवा जान असा कतराई झगड़ा का हुळजारा था करोगा जदी जान वा आदी तिजोरी पूरी भरेगा।

लीछमी चोपा चराय

चोपा चराय लीछमी , आली काम्ड़ी हात
बणावा सरपंच थने , चालो म्हाके साथ ।।
चालो म्हाके साथ , थां दो गाँवा री शान
थांके आड़ी आज , नाळ रयो वो भगवान ।।
केवाणीकविराज , अंगूटो दियो दिखाय
करे खोटा काम , लीछमी चोपा चराय ।।


नई का बेटा (कवि अमृत 'वाणी')




रचनाकार कवि अमृत'वाणी (अमृत लाल चंगेरिया कुमावत )
रिकॉर्ड :- 17/2/2010

झूंठ फेर झूंठी कही

उूबा वे सकता नहीं ,उूबा-उूबा जाय ।
फारम भर्यो पंच को , टेको दीजो भाय ।।
टेको दीजो भाय , काले पड़सी वोट ।
मूं मां जायो बीर , कोने म्हारा में खोट ।।
के ’वाणी’ कविराज , झूंठ फेर झूंठी कही ।
जमानता भी जाय , उूबा वे सकता नहीं ।।






लेखक :- अमृत 'वाणी'

हार्या केड़े

हार्या केड़े देखजो , कठे-कठे ही खोट ।
कतरा जिगरी कर गया ,हरता-फरता चोट ।।
हरता-फरता चोट ,उड़ाग्या मूंडा रा रंग ।
हाल-चाल बेहाल , कदी न कर ऐसो संग ।।
के ’वाणी’ कविराज, जद दारू-पाणी नेड़े ।
पी-पी के जो जाय , आय कुण हार्या केड़े ।।



चुनावी डूंज वायरो

चुनावी डूंज वायरो , पांच बरस में आय ।
उड़े रोड़्या रो कचरो, मंदर उॅंचों जाय ।।
मंदर ऊँचो जाय , वे पेर गळा में हार ।
आवे विरला जीत , मोड़-मोड़ पे मनवार ।।
के ’वाणी’ कविराज ,राखजो काण कायदो ।
पाछा जावो जीत , चालसी डूंज वायरो ।।




लेखक :- अमृत 'वाणी'

काळा-काळा बादळा

काळा-काळा बादळा, गांवा-गांवा जाय
खेतां-खेतां बावणी, मोर-पपैया गाय ।।
मोर-पपैया गाय , पाणी ईमरत धारा
बेतो-बेतो जाय , कहावे नंदी नारा
केवाणीकविराज , चाल्या ओरवा वाळा ।।
कोठ्यां भरदो धान, बादळा काळा-काळा ।।



आंबा वाया मोकळा

आम्बा वाया मोकळा , देशी नाक्यो खाद
पोता-पोती खावता , मने करेगा याद ।।
मने करेगा याद , गजब का हा दादाजी
ग्या बेकुंठा माय , कहे धरती माताजी ।।
केवाणीकविराज, होचजो लोग-लुगाया
कुण-कुण करसी याद, थां कई आम्बा वाया ।।


करगेंट्या के न्यान

जीत गयो र जीत गयो , वोटां वाळी जीत ।
ढोल-नगाड़ा आज से , गावे थांका गीत ।।
गावे थांका गीत , खुशबू वाळी माळा ।
या तो मनखां जीत ,था मती करिजो छाळा ।।
के ’वाणी’ कविराज , जा‘गा बारा के भाव ।
करगेंट्या के न्यान ,जो बदल दिया थां भाव ।।






लेखक :- अमृत'वाणी'