चुनावी डूंज वायरो , पांच बरस में आय ।
उड़े रोड़्या रो कचरो, मंदर उॅंचों जाय ।।
मंदर ऊँचो जाय , वे पेर गळा में हार ।
आवे विरला जीत , मोड़-मोड़ पे मनवार ।।
के ’वाणी’ कविराज ,राखजो काण कायदो ।
पाछा जावो जीत , चालसी डूंज वायरो ।।
उड़े रोड़्या रो कचरो, मंदर उॅंचों जाय ।।
मंदर ऊँचो जाय , वे पेर गळा में हार ।
आवे विरला जीत , मोड़-मोड़ पे मनवार ।।
के ’वाणी’ कविराज ,राखजो काण कायदो ।
पाछा जावो जीत , चालसी डूंज वायरो ।।
लेखक :- अमृत 'वाणी'